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Friday, November 12, 2010

मन का भी होता है... मन


स्वस्थ तन


और


स्वस्थ मन


पर्याप्त धन


भावनाओं की अगन


और


वेदनाओं की चुभन


ख्वाहिशों की भीड़ में


ज़िन्दगी का सूनापन


सुखद जीवन


विकल मन


क्यूँ ?


कभी सोचा नहीं


कि


मन का भी होता है... मन ||


जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'

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