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Saturday, April 3, 2010

महफ़िल...

महफ़िल सजी है आज कवि सम्मलेन की...

आप के हमारे भाव दिल के मिलेंगे आज

फूट फूट बरसेंगी रस की फुहारें आज

छैल-सुर-ताल आज शोभा बढ़ाएंगी

सजदा करेगी रात चांदनी गगन की

महफ़िल सजी है ...

जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'

2 टिप्पणियाँ:

देवास दीक्षित said...

यह एक बहुत ही सुन्दर प्रयास है, मोती रूपी विभिन्न कविगणों को एक साथ एक माला में पिरोना.
मेरी तरफ से आपको ढेरों शुभकामनाएं और धन्यवाद...!!!

संगीता पुरी said...

इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!