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Sunday, July 25, 2010

इसे क्या नाम दूं ...?

भोर की


सुरमई

लालिमा सी

मुस्काती

थी वो

नभ में

विचरण

करते

उन्मुक्त

खगों सी

खिलखिलाती

थी वो

और सांझ के

सिंदूरी रंग के

झुरमुट में

सो जाती

थी वो

वो थी

उसकी

पावन

निश्छल

मधुर

मनभावन

मुस्कान

हाँ --एक नवजात

शिशु की

अबोध

चित्ताकर्षक

पवित्र मुस्कान


- वंदना गुप्ता

vandana-zindagi.blogspot.com

3 टिप्पणियाँ:

vandana gupta said...

मेरी पोस्ट को मुशायरे में शामिल करने के लिये आभार्।

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर रचना.

शागिर्द - ए - रेख्ता said...

मुशायरे में आपका स्वागत है वंदना जी |

बहुत उम्दा लिखा है आपने | हर लफ्ज़ इतना सरल, स्पष्ट और बेहतरीन है कि सीधे मन को छूता है |
धन्यवाद सहित हार्दिक बधाई | बनी रहिये ... मुशायरे में आप जैसों की जरुरत है |

पुनश्च स्वागत एवं बधाई |