ज़िन्दगी के लिये इतना नहीं माँगा करते
मांगने वाले से क्या-क्या नहीं माँगा करते
मालिक-ऐ-खुल्द से दुनिया नहीं माँगा करते
यार दरियाओं से कतरा नहीं माँगा करते
हम वो राही हैं लिये फिरते हैं सर पर सूरज
हम कभी पेड़ों से साया नहीं माँगा करते
मैने अल्लाह से बस ख़ाक-ऐ-मदीना मांगी
लोग अपने लिये क्या-क्या नहीं माँगा करते
बेटियों के भी लिये हाथ उठाओ मंज़र
सिर्फ अल्लाह से बेटा नहीं माँगा करते
- मंज़र भोपाली
5 टिप्पणियाँ:
हम वो राही हैं लिये फिरते हैं सर पर सूरज
हम कभी पेड़ों से साया नहीं माँगा करते खुबसूरत शेर
आनन्द आया मंजर भाई को ढ़कर..उनका मोबाईल हो तो ईमेल करियेगा.
chha gaye janaab !
बेटियों के भी लिये हाथ उठाओ मंज़र
सिर्फ अल्लाह से बेटा नहीं माँगा करते
hum to haath uthakar aap jaisa beta maangenge jo betiyon ko bhi samman ki nazar se dekhte hain..
aabhar
aapka post bahut achchha .........kalevar bhi bahut achchha .........shubhakamnaye
Allah aap jaise hasti ko hindustan me salaamat rakhe
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